रंग दे चुनरिया: भजन सम्राट अनूप जलोटा का मधुर भजन - लिरिक्स
रंग दे चुनरिया: भजन सम्राट अनूप जलोटा का मधुर भजन - लिरिक्स
यह भजन भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति को दर्शाता है। भक्त अपनी आत्मा को प्रभु के रंग में रंगने की इच्छा व्यक्त करता है। **भजन सम्राट अनूप जलोटा जी** की मधुर आवाज में यह भजन बहुत ही कर्णप्रिय लगता है। इस पोस्ट में हम इस प्रसिद्ध भजन के बोल और भावार्थ के बारे में जानेंगे।
गायक अनूप जलोटा का परिचय
अनूप जलोटा, जिन्हें 'भजन सम्राट' के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय गायक और संगीतकार हैं जो अपने भजनों और ग़ज़लों के लिए प्रसिद्ध हैं। भजन गायकी में उनके योगदान के लिए उन्हें 2012 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उनके भजन जैसे 'ऐसी लागी लगन' ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया। अनूप जलोटा के जीवन और करियर के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप उनके विकिपीडिया पेज पर जा सकते हैं।
भजन के बोल: रंग दे चुनरिया
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया
ऐसी रंग दे के रंग नाहीं छूटे, धोबिया धोये चाहे सारी उमरिया
लाल ना रंगाऊं मैं, हरी ना रंगाऊं, अपने ही रंग में रंग दे चुनरिया
बिना रंगाए मैं तो घर नहीं जाऊंगी, बीत ही जाए चाहे सारी उमरिया
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, प्रभु चरणन में लागी नजरिया
भजन का भावार्थ
इस मधुर भजन में, एक भक्त अपने प्रिय श्याम पिया (भगवान कृष्ण) से प्रार्थना कर रहा है कि वह उसकी चुनरिया को अपने प्रेम के रंग में रंग दें। यहाँ **चुनरिया** आत्मा का प्रतीक है और **रंग** ईश्वर के प्रेम और भक्ति का।
भक्त कहता है:
- **"ऐसी रंग दे के रंग नाहीं छूटे":** मुझे अपने प्रेम के ऐसे गहरे रंग में रंग दो कि वह कभी न छूटे, चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं।
- **"लाल ना रंगाऊं मैं, हरी ना रंगाऊं":** मुझे दुनिया के किसी भी रंग (मोह माया) में नहीं रंगना है, बल्कि केवल प्रभु के ही रंग में रंगना है।
- **"बिना रंगाए मैं तो घर नहीं जाऊंगी":** भक्त दृढ़ता से कहता है कि जब तक उसकी आत्मा प्रभु के रंग में नहीं रंग जाती, तब तक उसे संसार में शांति नहीं मिलेगी।
भजन के अंतिम चरण में, मीराबाई के प्रेम का उल्लेख करते हुए, भक्त अपनी नजर प्रभु के चरणों में लगाकर हमेशा के लिए उनकी भक्ति में लीन हो जाना चाहता है। यदि आप और भजन पढ़ना चाहते हैं तो आप हमारी अन्य पोस्ट जैसे यह भजन और यह भजन भी देख सकते हैं।
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