Monday, July 14, 2025

भजन सागर । मेरे दिल में रहने वाले lyrics। गायक श्रद्धेय श्री विनोद अग्रवाल जी

 

मेरे दिल में रहने वाले - भजन लिरिक्स

मेरे दिल में रहने वाले - एक भावपूर्ण भजन

यह भजन भगवान कृष्ण (कन्हैया) से एक भक्त की गहरी पुकार और शिकायत को दर्शाता है। भक्त अपने प्रिय से पूछता है कि वह उससे दूर क्यों है, और अपनी विरह वेदना को व्यक्त करता है। यह भजन प्रेम, शिकायत और मिलन की तीव्र इच्छा का एक सुंदर मिश्रण है।

भजन के बोल

मेरे दिल में रहने वाले मुझसे न काओ क्यों [00:00:41]

इतना मुझे बता दे मुझसे छिपा [00:01:25]

प्यारे इतना तो बता दे ए कन्हैया क्यों नजरों से दूर है तू [00:02:00]

मिलना ही तुझे मंजूर नहीं या मेरी तरह मजबूर है तू वाह [00:02:15]

मैंने तो ये सुना है तुम हो दया के सा [00:02:52]

लाखों को तूने तारा मुझसे जवाब क्यों [00:03:32]

क्या तुम मेरी रोज मर्र की जिंदगी को नहीं देख रहे [00:04:01]

क्यों हमें यह रोज मौत के पैगाम दिए जा रहे हैं [00:04:16]

सजा क्या यह कम है कि इस हाल में भी हम जिए जा रहे हैं [00:04:29]

मेरे गुनाह है लाखों ये भी तो मैंने माना [00:05:03]

औरों से कुछ ना पूछा मुझसे हिसाब क्यों [00:05:29]

और फिर तूने जिसे अपनाया उसको खुदा बनाया [00:07:02]

तू सर्व समर्थ है तुझे क्या जरूरत कि अल्प को अल्प ही रखे [00:07:09]

इसलिए जब तेरे मन में आती है कि इससे मिल लो तो तू उसे भी अपने जैसा ही बना देता है [00:07:29]

कोई अपूर्ण और पूर्ण का मिलन नहीं होता [00:07:36]

अपूर्ण को अल्प को भी तू असीम बनाकर फिर उसी के साथ मिलता है [00:07:36]

उनका नसीब अच्छा मेरा खराब क्यों [00:08:05]

तेरे बनाने की पद्धति भी कैसी के मम दर्शन परम अनूपा जीव पाव निज सहज स्वरूपा [00:08:27]

तुम्हारे दर्शनों का फल क्या है के जीव पाव निज सहज स्वरूपा [00:08:29]

साधक को जीव को उसके सहज स्वरूप की प्राप्ति हो जाती है [00:08:41]

फिर उसे किसी प्रकार की तमन्ना कामना या विकार नहीं रहते प्यारे [00:08:41]

सहज स्वरूप क्या है कि ईश्वर अंश जीव अविनाशी चेतन अमल सहज सुख राशि [00:08:48]

जब तुम्हारा करने का ढंग ये है तुम्हारी पद्धति यह है तो फिर प्यारे तुमसे पूछ रहा हूं मैं [00:08:59]

आजाद के अंदर भी है कुछ तो कमा तेरा [00:09:53]

बेहद का है तू दरिया फिर मैं हु बाब क्यों [00:10:31]

हु बाब बोलते हैं बुलबुले को [00:10:49]

इतना अनंत दरिया बुलबुला कितना एक सुई की नोक जैसा भी नहीं और उसम भी उसकी जिंदगी कितनी के बस अभी फुला और अभी फूटा [00:10:49]

कईयों को पास रखा कई दूर तुमने रखे [00:11:29]

समदर्शी नाम तेरा फिर ऐसा जनाब क [00:11:59]

हा प्यारे कईयों को पास रखा कई दूर तुमने रखे फिर भी तुम समदर्शी कहलाते हो [00:12:31]

यह पक्षपात क्यों के जो अच्छे काम करे उन्हें ही तुम पास में रखो और हमारे जैसे तो गए आए ऐसे देखो [00:12:47]

फिर हम तुम्ह भी साहब बताए देते हैं कि तुम्हें औरों से कब फुर्सत हम अपने गम से कब खा ले [00:12:55]

क्यों जिस हाल में हम जी रहे हैं एक आधा गम हो तो बताए यहां तो गमों के अंबार लगे हुए हैं [00:13:07]

बौछार हो रही है इसलिए तुम्हें औरों से कब फुर्सत हम अपने गम से कब खाली [00:13:13]

चलो बस हो गया मिलना ना तुम खाली ना हम खाली [00:13:22]

भजन का भावार्थ

यह भजन एक भक्त की आंतरिक भावनाओं, उसकी शिकायत और उसके प्रिय भगवान कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम को दर्शाता है। भक्त अपने भगवान से पूछता है कि वे उससे दूर क्यों हैं, जबकि उन्होंने लाखों लोगों को तारा है। वह अपनी दयनीय स्थिति पर सवाल उठाता है और भगवान की दयालुता और समदर्शिता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है, यह जानते हुए भी कि भगवान सर्वसमर्थ और दया के सागर हैं। यह भजन दर्शाता है कि कैसे एक भक्त अपने आराध्य से सीधे संवाद करता है, अपनी पीड़ा व्यक्त करता है और उनसे मिलन की कामना करता है।

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